समझदार रत्नाकर की कहानी भाग 1 - Best Fantasy story in hindi - fantasy story in hindi with moral

 

Best fantasy story in hindi with moral 

समझदार रत्नाकर की कहानी भाग 1 - Best Fantasy story in hindi


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एक डायन के बदले की कहानी भाग 1 - horror 


यह कहानी एक रत्नाकर नाम के व्यापारी की हैं जो राजपुर गांव के एक छोटे से घर में रहकर कई प्रकार की टोपीयाँ बेचकर पैसे कमाता हैं। टोपीयाँ बेचने के लिए रत्नाकर कई गांव में घुमता रहता हैं इस कारण टोपी बेचने का व्यापर सहीं से चलता रहता हैं।

एक दिन रत्नाकर के पास भेष बदलकर आई सफेद परी टोपी खरीद लेती हैं और रत्नाकर के समझने से पहले हीं गायब होकर चली जाती हैं। इस दिन के बाद से हर रात को रत्नाकर के स्वप्न में वहीं परी दिखाई देती हैं पर वह उसे एक स्वप्न मानकर भुल जाता हैं। एक दिन फिर्से स्वप्न में आई परी एक मुल्यवान टोपी में जादुई शक्तीयाँ डाल देती हैं।

उसके दूसरे दिन हीं रत्नाकर कई टोपीयाँ बेचते हुए गांव में घुमता हैं और थकान महसूस होने से गांव के एक बडे पेड के निचे आराम करता हैं जिस कारण उसे थोडी नींद आ जाती हैं। थैली के पास खाना खोजते हुए आए बंदर खाना न मिलने सभी टोपीयों को पेड के उपर ले जाते हैं।

सभी टोपीयाँ बंदर के पास देखकर उन्हें डराने का विफल प्रयास करता हैं तब रत्नाकर कई प्रकार की नकल करके आखिर में टोपी फेक देता हैं और बंदर भी टोपीयाँ फेक देते हैं। तब विशाल बन चुका बंदर गांव में उत्पात मचाता हैं आखिर में वहीं सफेद परी आकर बंदर को ठिक करने के बजाय वानरलोक में हमेशा के भेजकर परीलोक चली जाती हैं। इस घटना के बाद रत्नाकर के परिवार की आर्थिक स्थिती सुधर जाती हैं और परी के वरदान से रत्नाकर की आयु हमेशा के लिए 200 वर्ष तक बढ जाती हैं।


Fantasy story in hindi long story

समझदार रत्नाकर की कहानी भाग 1 - hindi fiction story 

यह कहानी रत्नाकर नाम के व्यापारी की हैं जो राजपुर गांव में रहता हैं जिसकी पत्नी और दो बेटे हैं। रत्नाकर अपने घर में हीं कई रंग प्रकार की टोपीयाँ बनाकर पूरे गांव में घुमकर टोपीयाँ बेचता हैं। एक दिन रत्नाकर टोपीयाँ बेचते हुए पेड के पास जाता हैं जहाँ एक सफेद परी उसके पास आकर टोपी लेती हैं।

टोपी पहनने के बाद वह परी कुछ पल में गायब होकर दूसरे स्थान पर चली जाती हैं। मगर अपनी टोपीयों में उलझा हुआ रत्नाकर इस घटना पर ध्यान नहीं दे पाता। अगली रात से उस टोपीवाले रत्नाकर को वहीं परी हर बार दिख जाती हैं। रत्नाकर परी वाली बात को स्वप्न मानकर कार्य पर लग जाता हैं। एक दिन वहीं परी स्वप्न में आकर उसकी एक टोपी में कुछ शक्तीयाँ डालकर हमेशा के लिए रत्नाकर के स्वप्न से चली जाती हैं।

इसके दो दिन बाद बनाई गई टोपीयों को लेकर अपने गांव के साथ दूसरे गांव में बेचने जातस हैं। अपने गांव आते समय रत्नाकर कई सारी टोपीयों को बेच पाता हैं लेकीन कुछ टोपीयाँ बची रहती हैं। बहुत देर तक चलने के कारण रत्नाकर बहुत थक जाता हैं और आराम करने के लिए एक बडे पेड के निचे बैठकर सो जाता हैं। उठने के बाद फिर्से टोपीयाँ बेचकर घर चला जाउँगा यह सोचकर आराम करता हैं।

पेड के उपर मौजुद कुछ बंदर खाने की तलाश में पेड के निचे स्थित बैग के पास उतर जाते हैं। बंदरों को बैग में टोपीयों के अलावा खाने की कोई भी वस्तू नहीं मिलती बाद में बंदर सभी टोपीयों को लेकर पेड पर बैठ जाते हैं और खेलने कुदने लगते हैं। बंदरों की तेज आवाज के कारण रत्नाकर उठकर सबसे पहले अपनी बैग में रखी हुई टोपीयों के देखता हैं पर टोपीयाँ उसे आसपास कहीं पर भी नहीं मिलती।

टोपीयों को खोजते समय रत्नाकर की नजर पेड के उपर बैठे बंदरों के उपर जाती हैं जो टोपी पहनकर उछलकुद करने में व्यस्त होते हैं। टोपीयों को फिर्से पाने के लिए रत्नाकर जितना हो सके उतना बंदरों को डराने का प्रयास करता हैं लेकीन बंदर उससे डरने के बजाय उसकी नकल करते हैं। अपना प्रयास विफल होने के कारण उसे बंदरों के नकल की बात पता चलती हैं फिर रत्नाकर जैसे नकल करता वैसे हीं बंदर भी नकल शुरु कर देते हैं।

नकल करते समय रत्नाकर अपनी टोपीयों को जमीन पर फेक देता हैं जिसकी नकल करते हुए बंदर भी अपनी टोपीयों को जमीन पर फेक देते हैं। अधिक देर ना करते हुए रत्नाकर सभी टोपीयों को अपनी बैग में जमा कर देता हैं। रत्नाकर देखता हैं की एक बंदर के पास मुल्यवान टोपी हैं जो जमीन पर नहीं फेक रहा हैं इतने टोपी में में मौजुद शक्तीयाँ अपना प्रभाव दिखाते हुए बंदर में समा जाती हैं जिस कारण टोपी स्वतः हीं शक्तीहिन होकर जमीन पर गिर जाती हैं।

दूसरी ओर उस बंदर का आकार पेड से भी बडा हो जाता हैं और आसपास के इलाके में उत्पात मचाता हैं। रत्नाकर और गांव वाले भी अपनी जान बचाकर भागने लगते हैं इस बिच जो परी हमेशा के लिए रत्नाकर के स्वप्न से चली गई थी वह वापस आकर उस बंदर को करोडो प्रकाश वर्ष दूर स्थित वानरलोक में भेज देती हैं। इसके बाद वह परी अपनी शक्तीयों का एक प्रतिशत रत्नाकर के वंश में भेज देती हैं। कुछ समय के बाद परी स्वयं की वास्तविकता रत्नाकर को बताकर उसकी आयु 200 वर्ष तक बढा देती हैं और पलभर में परीलोक में चली जाती हैं जिसके कुछ दिनों बाद से रत्नाकर के परिवार की आर्थिक स्थिती तेजी से सुधरने लगती हैं।

दोस्तों हमारी आज की कहानी " समझदार रत्नाकर की कहानी भाग 1- Fantasy story in hindi " समाप्त हो जाती हैं। अगर आपको यह fantasy story in hindi की हिंदी कहानी पसंद आए तो comment करके आवश्य बताए।

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