Saap aur Chooha ki kahani Moral Story - सांप और चुहे की कहानी - Moral story in hindi


सांप और चुहे की कहानी - Short Moral Story

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नाग शक्तीयाँ पाने के चक्कर में राज और विराज नाम के दो लडके एक तांत्रिक से हाथ मिलाते हैं। तांत्रिक भी नागमणी प्राप्त करने के लिए अपने फायदे के लिए राज विराज को माध्यम बनाता हैं। इस बात से अंजान राज विराज साथ देने के लिए तयार हो जाते हैं।


100 वर्ष पुर्ण होने के बाद ईच्छाधारी रूप प्राप्त कर चुके नाग नागिन अपनी नागमणी को सुरक्षित स्थान पर छुपाने के लिए बिल की ओर चले जाते हैं। इतने में कुछ तांत्रिक शक्तीयों के साथ आए राज विराज नाग नागिन को कैद करके नागमणी छिनकर जाने लगते हैं। किसी तरह से छुटकर नागराज पुन्हा नागमणी को प्राप्त करके नागरानी को सौंप देता हैं। 

गुस्सा हुए राज विराज तांत्रिक ऊर्जा का उपयोग करके नागराज से युद्ध प्रारंभ कर देते हैं दूसरी ओर नागरानी अपनी पूरी शक्ती का उपयोग करके उस नागमणी सुरक्षित नागलोक भेज देती हैं और अपने नागराज को छुडाने का प्रयास करती हैं।

राज और विराज जादुई भाले की मदद से नाग नागिन को राख में बदल देते हैं। राख में बदलने से पहले से नागराज दोनों लडकों को श्राप देता हैं जिसके चलते राज विराज मानवीय आवाज वाले सांप और चुहे में बदल जाते हैं। जित्नी बार भी सांप और चुहे एक दूसरे से मिलते हैं अपनी वास्तविकता को भुल जाते हैं एक दिन सिद्ध सपेरा सांप और चुहे को पकडकर टोकरी में रख देता हैं।

दूसरी ओर सांप और चुहा अपनी मानव आवाज में बोलकर आजाद होने के लिए एक दूसरे से बातचित करते हैं। चुहे के हावभाव देखकर सांप को शक हो जाता हैं फिर सांप को चुहे की बात माननी पडती हैं। चुहा भी अपने डरावने सपने लेकर भयभीत रहता हैं और जित्नी जल्दी हो सके उतनी जल्दी सांप से दूर चले जाना चाहता हैं। तबतक सांप चुहे की बातों पर सोच विचार करने में लगा रहता हैं।

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कहानी की शुरुआत राज और विराज नाम के दो लडकों से होती हैं जो शक्तीयाँ प्राप्त करके हजारों वर्ष तक जीवित रहना चाहते हैं उन्हें एक नाग के जोडे के बारें तांत्रिक से पता चलता हैं। तांत्रिक भी दो लडकों की तरह शक्तीशाली बनने की चाहता रखता हैं इस कारण दो लडकों को अपना माध्यम बनाने का निर्णय लेता हैं।

इसके कुछ दिन बाद तांत्रिक दो लडको को कुछ शक्तीयाँ देकर नागमणी प्राप्त करने जंगल में भेजते हैं। उस समय एक नाग के जोडे को 100 वर्ष पुर्ण हो जाने से एक एक नागमणी प्राप्त हो जाती हैं। इसी के साथ साधारण से दिखने वाले नाग नागिन अपने दिव्य असाधारण मानवीय रूप को धारण करते हैं। उस स्थान के दुष्ट लोगों से नागमणी को सुरक्षित रखने के लिए एक जगह की खोज करते हैं।

इससे पहले नागमणी को छिपाया जाता दोनों लडके नाग जोडे के समक्ष आकर शक्ती के प्रयोग से रोक देते हैं। दोनों लडके तांत्रिक शक्ती से नागमणी को प्राप्त करके जाने लगते हैं फिर नागराज तंत्र के आवरण को तोडकर नागमणी छिन लेता हैं। तबतक नागरानी उस नागमणी को नागलोक में भेजकर दोनों लडकों से लडाई करती हैं।

तांत्रिक शक्ती पौर्णिमा के दिन अधिक प्रबल होने से नाग का जोडा कमजोर पड जाता हैं। आखिर में दोनों लडके नाग जोडे को चंद्र ऊर्जा से बने हुए घेरे में कैद करके जादुई भाले से वार करके मार देते हैं। नागराज मरते समय राज और विराज को श्राप देते हैं, " मैं नाग लोक का नागराज तुम्हें श्राप देता हूँ तुम दोनों इसी क्षण नष्ट होकर सांप और चुहा बन जाओगे साथ हीं आने वाले 100 वर्ष तक कई प्रकार के रहस्यमय जीवों का शरीर धारण करके भटकते रहोगे। "

ऐसा श्राप देने के बाद नाग नागिन पूरी तरह राख में बदल जाते हैं और दूसरी ओर राज विराज सांप और चुहे में बदलकर इधर उधर भटकते रहते हैं। राज विराज अपने मूल मानव रूप की बातें भुलकर खाने पीने के लिए तडपते रहते हैं। कभी भुख मिटती हैं तो कभी शिकारीयों का शिकार होने से बचे रहते हैं। किंतु राज विराज अपने इस शरीर में मानव के समान बोल पाने में सक्षम हो जाते हैं।

राज विराज के सांप और चुहे रूप की बात कई बार सामान्य लोगों को सुनाई देती हैं कभी नहीं। जिन लोगों ने भी मानव जैसी आवाज सुनी वे लोग उनके अंदर के बुराई के अंधकार को प्रत्यक्ष आभास करके भाग जाते हैं पर सांप और चुहा अपनी इन बातों से अनजान रहकर जहाँ लगे वहाँ चले जाते हैं। कुछ दूर जाने के बाद पेड पर मौजुद राज सांप को एक सिद्ध सपेरे की ऊर्जा का आभास हो जाता हैं।

जिस सपेरे को राज ने देखा था वह सपेरा उन्हीं की ओर आ जाता हैं। सपेरा अपनी बिन के माध्यम से भाग रहे सांप को आसानी से वश में करके टोकरी में रख देता हैं सांप चाहकर भी उस सपेरे को ड़स नहीं सकता। जैसे हीं सांप सपेरे को ड़सने का प्रयास करता वैसे हीं हल्के झटके से सांप कुछ देर के लिए बेहोश हो जाता हैं। दूसरी ओर भाग रहा चुहा भी सपेरे के हाथों से बच नहीं पाता।

असामान्य सपेरा भी पकडे गए सांप और चुहे की वास्तविकता जान नहीं पाता पर उसे भी अंधकार की ऊर्जा का आभास हो जाता हैं। सपेरा भी इस अंधकार की ऊर्जा की ऊर्जा को नजरअंदाज करके कहता हैं, " पता नहीं कैसे आज अँधेरे की ऊर्जा का आभास हुआ मगर कोई बात नहीं मुझे सांप और एक चुहा आसानी से मिल गया, सांप के भोजन की व्यवस्था भी हो गई "

ऐसा कहने के बाद सपेरे ने चुहे को सांप की टोकरी में डाल दिया बाद में कहने लगा, " पकडा गया चुहा मेरे सांप के लिए भोजन हैं, मुझे अब आवश्यक कार्य करने जाना हैं, असाधारण सिद्ध सपेरा बनके के बाद भी मैं अन्य साधकों की तरह शक्तीशाली नहीं बन सका, कोई बात नहीं मुझे और प्रयास करना होगा "

ऐसा कहने के बाद सपेरा एक अदृश्य घर का निर्माण करके जीव शक्ती को पाने के उपाय के बारें सोचता हैं। सपेरे की कैद में अभीतक केवल दो ईच्छाधारी जीव हैं जो निकलने का असफल प्रयास करते हैं। सपेरे की कैद में दिव्य तोता और दिव्य कौआ होता हैं। सपेरा चाहता हैं की, वह अपने शरीर में मानवीय स्वरूपों को धारण करें ताकी स्वयं की सत्ता बना सके वह भी अंतरिक्ष में।

दूसरी ओर सांप उस चुहे को खाने के लिए आगे बढ जाता हैं तभी दोनों के भीतर की अंधकार ऊर्जा आपस में टकरा जाती हैं मगर यह टकराव टोकरी को हिला नहीं पाता। जैसे हीं सांप चुहे की ओर लपकता हैं चुहा अपनी मानवीय आवाज में सांप से कहता हैं, " अरे सांप भैय्या मुझे मत मारो रुक जाओ तुम जिस स्थिती में हो उसी स्थिती में मैं भी हूँ "
चुहे की मानवीय भाषा को सुनते हीं सांप की रुककर मानव भाषा में बोलता हैं, " आखिर तुम मेरी तरह मानव भाषा कैसे बोल पा रहे हो जब्की मैं तुम्हें अभी देख रहा हूँ "

सांप और चुहा कई बार एक दूसरे से मिलने के बाद सब भुल जाते इसका कारण वह श्राप हैं जो नागराज ने दोनों को दिया था।
चुहा कहता हैं, " इस बात से मैं भी हैरान हूँ लेकीन कैद से छुटना हैं तुम्हें मेरी आवश्यकता होगी, तुम मुझे नहीं मारोगे तो मैं तुम्हें आजाद करा सकता हूँ। तुम्हें मंजुर हैं तो बोलो वरना यहीं सडते रहो "
सांप चुहे की बात सुनकर हैरान हो जाता हैं आखिर छोटा चुहा कैसे यहाँ से आजाद कर सकता हैं ?

सांप कहता हैं, " मैं कब से इस कैद से निकलने का प्रयास कर रहा हूँ लेकीन निकल नहीं पाया फिर तुम कैसे किस प्रकार मदद कर सकते हो ? मुझे तुम पर विश्वास करना चाहिए या नहीं कहीं धोखा तो नहीं दोगे तुम, कह नहीं सकता "
चुहा कहता हैं, " तुम्हें विश्वास करना हैं तो करो मैं तो यहाँ से सुरक्षित हीं भाग जाउँगा, तुम यहीं रहो "
सांप कहता हैं, " ठिक हैं विश्वास करुँगा पर मुझे अभी तेज भुख लगी हैं और सामने केवल तुम हीं हो "

चुहा थोडा डर को छुपाकर बोलता हैं, " तुम्हारी तरह मुझे भी भुख लगी हैं, मुझे मारकर खा भी लिया तो वैसे भी तुम्हारा पेट नहीं भरेगा फिर क्या करोगे, सपेरे का शिकार बनकर मर जाओगे "
सांप कहता हैं," मेरे पास कोई उपाय भी नहीं हैं "
चुहा बोलता हैं, " मेरे पास बाहर निकलने का उपाय हैं अगर तुम मुझे छोड दो तो मैं तुम्हें आजादी दिला सकता हूँ फिर जित्ना चाहे उत्ना भर पेट खाना खाओ मैं नहीं रोकने वाला "

इन बातों को सुनकर सांप बेचारा कुछ समय के लिए भुख को रोकते हुए सोच विचार में डुब जाता हैं दूसरी ओर चुहे के मन में कुछ और हीं चलता रहता हैं। एक दिन चुहा किसी जीव को खा जाता हैं तब से अपने स्वप्न में भयानक दृश्य दिखाई देता हैं। चुहा देखता हैं की सांप और वह एक गुफा में कैद हैं जिसके चारों ओर काला धुँआ जमा होने से भयानक आवाज हो जाती हैं। इस आवाज के कारण सांप और चुहा एक शरीर का संयोग रूप मुष्नाग नाम के मानवीय जीव में बदल जाते हैं।

इसी स्वप्न को वास्तविकता में उतरता देख जित्ना जल्दी हो सके उत्ना जल्दी सांप से दूरी बनाने का प्रयास करता हैं उसके लिए सांप को धोखा देने से पिछे भी नहीं हटेगा। विचार कर रहा सांप अचानक चुहे के अजीब बर्ताव को देखकर थोडा हैरान हो जाता हैं मगर कुछ तो निर्णय लेना होगा। "

सांप और चुहे का कर्मभोग भाग 1- Moral of the story in hindi

Moral - " बुरे के साथ आखिर में बुरा हीं होता हैं और बुरे कर्म अनेक जन्मों तक साथ नहीं छोडते "

दोस्तों हमारी आज की कहानी " Saanp aur Chuhe ki kahani - Moral story in hindi " समाप्त हो जाती हैं। अगर आपको " सांप और चुहे का कर्मभोग भाग 1 " कहानी पसंद आ जाए तो comment करके अवश्य बताए। आप हमें मेरी website hindistoryloop hindistorywebnet and cosmickingmultiverse पर जाकर अन्य कहानीयाँ पढ सकते हैं। 

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