सांप और चुहा - Fantasy Story in hindi
कहानी की शुरुआत सपेरे के पिटारे से होती हैं जहाँ चूहे के सुझाव पर सोच विचार करने वाला सांप बात मान जाता हैं। सांप अपनी आँखे बंद करके बिना हिले डुले स्थिर रहता हैं तब चुहा उसके माथेपर बैठकर धीरे से मंत्रोच्चारण करके बड़ा सा छेद बना देता हैं। सांप को बिना बताए अपने सपने और जान को खतरा देखकर चुहा जंगल की ओर बिल में चला जाता हैं।• सांप और चूहे की कहानी भाग 1 Fantasy story
• एक बैंक कर्मचारी के अविश्वास का परिणाम भाग 1
Saanp aur Chuhe ki kahani - fantasy story in hindi with Moral |
चूहे की आवाज न आते देख सांप अपनी आँखे खोल कर पिटारे के बाहर चला जाता हैं जिसे अदृश्य घर से निकलता हुआ सपेरा दिखाई देता हैं। सांप को सपेरे के अंदर अधिक अंधकार ऊर्जा आभास होने से झाडीयों से होते हुए जंगल में भाग जाता हैं और उस धोखेबाज चूहे को खाने के लिए खोजता रहता हैं।
सपेरा पिटारे के पास आकर सांप और चूहे को न पाकर दुखी हो जाता हैं। जीव स्वरूप शक्तीयाँ पाने का माध्यम भाग से सपेरा अपनी शक्तीयों का मुख्य रूप से उपयोग करके खोजने लगता हैं पर दोनों अंधकार ऊर्जा आपस में टकराने से सपेरा पता नहीं लगा पाता और किसी अन्य ईच्छाधारी जीव को खोजने दूसरे जंगल की ओर चला जाता हैं। जाते समय अदृश्य घर को स्वयं के भीतर समेट लेता हैं जैसे वह घर उसी का भाग हो।
आखिरकार सांप उस धोखेबाज चूहे के बिल का पता लगा लेता हैं और चूहे को मिठी बातों में उलझाए रखता और दोस्ती का पाठ पढाता हैं। सांप की ईच्छा जान चुका चुहा बिल से बाहर आने से मना करके सांप को जाने के लिए कहता हैं। सांप भी चूहे की बातें सुनकर प्रभावित हो जाता हैं और उस चूहे एक समझदार चुहा जानकर अपने बिल की ओर तेजी से खाने के लिए चला जाता हैं।
दूसरी ओर तांत्रिक की दृष्टी बहुत स्थित चूहे और सांप पर पड जाती हैं। इस कारण जो स्वप्न चूहे को आ रहा होता हैं वहीं स्वप्न सांप को भी आ जाता हैं जिसके बाद दोनों को अपने मानवीय रूप और उससे जुडे श्राप की याद आती हैं। तब सांप और चूहे को उस तांत्रिक ऊर्जा से एक दूसरी की सच्चाई पता चलती हैं। एक दूसरे को बचाने के लिए सांप और चुहा जितनी दूर हो सके उतनी दूर जाने लगते हैं ताकी भायानक जीव " मुष्नाग " का निर्माण ना हो पाए "
अगर ऐसा हुआ तो इसका फायदा तांत्रिक और सपेरे जैसे अन्य व्यक्तीयों को हो जाएग।
सांप और चूहे की कहानी भाग 2 - Short Fantasy story in hindi
कहानी की शुरुआत वहीं से होती हैं जहाँ से चुहे द्वारा दिए सुझाव पर सांप सोच विचार करता हैं। चुहा उस सांप को कहता हैं, " अधिक सोच विचार ना करो, सपेरा आता हीं होगा, अगर तुम यहाँ से आजाद हो गए तो तुम्हें मुझसे भी बडे चुहे, चिपकलीयाँ, मेंढक आदी खाने को मिल जाएँगे, पहले सोच लो "
आखिर में सांप मन में सोचता हैं, " अगर इस चुहे ने झुठ बोलकर धोखा दिया तो बाद में मैं उसे खा जाउँगा वैसे कहीं जाने वाला नहीं इसी टोकरी में पडा रहेगा "
इसके बाद सांप अचानक से बोल पडता हैं, " पहले मुझे बताओ की तुम यहाँ से कैसे निकलोगे क्या करोगे, तुम्हारी बताई बात सहीं निकल गई तो मैं तुम्हें नहीं खाउँगा, अब बताओ करना क्या हैं ? "
चुहा चतुराई से कहता हैं, " मेरे पास एक मंत्र हैं जिस्से हम आसानी से पिटारे के बाहर निकल जाएंगे लेकीन ऐसा करने के लिए कुछ शर्ते हैं जिसे पुरा करने पर मंत्र अपना पुरा कार्य करेगा किंतु कोई गडबडी होने से मंत्र विफल हो जाएगा "
सांप कहता हैं, " कोई मंत्र विफल नहीं होगा बस शर्ते क्या हैं वह मुझे वह बताओ "
चुहा कहता हैं, " मंत्र का प्रयोग करने के लिए मुझे तुम्हारे सिर पर बैठना होगा और तुम्हें अपनी आँखे बंद करनी जबतक मंत्र पुरा नहीं होता आँखे मत खोलना नाहीं हिलना और डुलना। मंत्र पुरा होने पर मैं तुम्हें बुलाउँगा "
सांप कहता हैं, " तुमने जैसा कहाँ हैं मैं ठिक वैसा हीं करूँगा और बाहर जाते हीं मेरा इंतजार करना, कुछ आवश्यक बातें करनी हैं "
थोडी देर बाद सांप अपनी आँखे बंद करके शांत खडा रहता हैं और चुहा उसके सिर पर बैठ जाता हैं।
जैसे हीं चुहा मंत्रोच्चारण करता हैं टोकरी पिटारे में बहुत बडा छेद हो जाता हैं। फिर क्या चुहा सीधे छलाँग लगाकर टोकरी के बाहर चला जाता हैं। चुहा पहले से हीं अपने स्वप्न से डरा हुआ था इस कारण पीछा छुडाने के लिए चुहा जंगल की ओर तेजी से जाकर अपने बिल में छुप जाता हैं।
थोडी देर बाद चुहे की कोई आवाज ना आती देख सांप ने अपनी आँखे खोली। सांप को टोकरी के उपर एक बडा सा छिद्र मिला जिसे चुहे ने मंत्र शक्ती द्वारा बनाया था। सांप अधिक देर ना करते हुए उस छिद्र से बाहर चला जाता हैं। उस टोकरी से आजाद हुए सांप को मजा आने लगता हैं पर उसे तेज भुख भी लगती हैं और वह चुहे को देखता हैं पर उसे नहीं मिलता।
तबतक वह सिद्ध सपेरा अपने अदृश्य घर से बाहर आने लगता हैं। सांप इस बार सपेरे के अंदर से निकल रहीं अंधकार ऊर्जा से भयभीत हो जाता हैं इससे पहले सपेरा कोई नुकसान पहूँचाए सांप अपनी जान बचाकर पास की झाडीयों में जाकर छुप जाता हैं। सांप को पता नहीं होता कोई अदृश्य आवरण उसे बचा रहा हैं इस कारण वह आखिर में जंगल में जाकर रुक जाता हैं।
पिटारे के पास आया सपेरा सांप और चुहे के भाग जाने से चिंतित हो जाता हैं और दुखी मन से कुछ सोचने लगता हैं। अपनी शक्तीयों का उपयोग करके भी सपेरा दोनों का आभास नहीं कर पाता। अदृश्य घर में जाने से सपेरे को सांप और चुहे की रहस्य रूप वास्तविकता पता चलती हैं अब दोनों को खोजना आवश्यक हो जाता हैं।
सपेरा जिन 12 जीवों को खोज रहा हैं स्वयं का जीव स्वरूप बनाने के लिए उनमें से यहीं सांप और चुहा भी हैं। उस सांप और चुहे को भी पता नहीं होता की श्राप मिलने के बाद भी हम ईच्छाधारी रूप धारण कर सकते हैं। कुछ भी करने पर सपेरे को सांप और चुहे की ऊर्जा का आभास नहीं होता इस कारण वह किसी दूसरे जीवों की खोज में लग जाता हैं।
दूसरी ओर जंगल में मौजुद सांप अभी भी चुहे को खोज रहा होता हैं और कहता हैं, " अरे वह छोटा मुर्ख नटखट चुहा मुझे अकेला छोडकर कहाँ चला गया, मुझे इस धोखे का बदला लेना हैं, अब तो वह गया बस एक बार हाथ आ जाए " ऐसे हीं सांप उस चुहे को खोजता रहा उसे लगता हैं सपेरे ने पकड लिया या कहीं सचमुच खो गया।
यहीं सांप कई दिन तक जंगल में भटकता रहता हैं और अच्छा सा घर खोजता हैं तब सांप को एक बिल में जाते हुए वहीं नटखट चुहा दिखाई देता, सांप समझ जाता हैं की, चुहा जरुर इसी बिल में रहता होगा। सांप उस चुहे के बिल के पास आकर अंदर जाने का प्रयास करता हैं पर जा नहीं पाता तब सांप को उस चुहे का सिर दिखाई देता हैं जो सांप को छुपकर देखता हैं।
सांप चुहे को कहता हैं, " बाहर आ जाओ धोखेबाज मुझसे बचकर कहाँ जाओगे, मुझे धोखा देकर अकेले हीं बाहर जंगल में चले गए। बाहर आ जाओ ना मुझे तुमसे कुछ बात करनी, आओ ना मित्र "
चुहा डरकर कहता हैं, " मित्र और तुम यह नहीं हो सकता असंभव हैं। तुम भी जानते हो की सांप और चुहा कभी जीवन में मित्र नहीं हो सकते। उस दिन सपेरे के कारण हम दोनों मजबूर थे नहीं तो मारे जाते और पता नहीं क्या होता। "
सांप कहता हैं, " इस बात को गलत रूप में मत लो, मित्रता मत तोडो, मैं जानता हूँ हम दोनों हीं सपेरे के कारण मजबूर थे पर अब नहीं "
लेकीन चुहा अपने हीं भय से बात पर अडा रहता हैं।
चुहा कहता हैं, " उस वक्त जो हुआ वह एक दोस्ती का नाटक था, जान बचाने के लिए मित्रता का ढोंग करना पडा। तुम बहुत शक्तीशाली और मैं एक कमजोर सा चुहा हमारे मध्य बराबरी नहीं सकती, दोस्ती केवल बराबरी वालों से होती हैं कमजोरों से नहीं। अब तुम यहाँ से जाओ और मुझे अकेला छोड दो "
चुहे की ऐसी समझदारी वाली बातें सुनकर सांप कहता हैं, " यह चुहा तो बहुत समझदार हैं, इसे जाल में फँसाना कठिन हैं, मुझे कोई और भोजन के लिए तलाश करनी चाहिए अभी तो मुझे यहाँ से जाना होगा " इतना कहकर सांप अपनी जगह बिल की ओर चला जाता हैं। सांप की अंधकार ऊर्जा चुहे से जुडने के कारण चुहे को फिर्से वहीं संयोग रूप वाला सपना आना शुरु हो जाता हैं।
वहीं दूसरी ओर उस तांत्रिक ने नाग नागिन की राख को अलग रखकर नया जीव बनाने की शुरुआत की होती हैं। उसी तांत्रिक की नजर राज विराज अर्थात सांप और चुहे की ओर पड जाती हैं। इसके बाद सांप को भी ऐसा लगता हैं जैसे उसे चुहे के साथ जुडाव महसुस हो रहा हो। एक रात सांप को वहीं गुफा वाला सपना आने लगता हैं और वह भी बाद में चुहे से जित्ना हो सके उत्ना दूर जाने का प्रयास करता हैं इस बिच चुहे और सांप को अपने मानव जीवन की यादें आना शुरु हो जाती हैं।
Note - क्या अगले तीसरे भाग में सांप और चुहा एक होकर मुष्नाग नाम के जीव में बदल पाएगे ? क्या तांत्रिक और सपेरे अपने मकसद में सफल हो पाएँगे ? जानने के लिए अगले भाग 3 की प्रतिक्षा करें
सांप और चुहे का कर्मभोग भाग 2 - Moral of the story in hindi
Moral - " मित्रता हमेशा बराबर वालों के साथ करनी चाहिए, अन्यथा जीवन में धोखा मिल सकता हैं "दोस्तों हमारी आज की कहानी " Saanp aur Chuhe ki kahani - Moral story in hindi " समाप्त हो जाती हैं। अगर आपको " सांप और चुहे का कर्मभोग भाग 2 " कहानी पसंद आ जाए तो comment करके अवश्य बताए। आप हमें मेरी website hindistoryloop hindistorywebnet and cosmickingmultiverse पर जाकर अन्य कहानीयाँ पढ सकते हैं
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