Brahma Rakshas Hindi Story - ब्रह्म राक्षस की कहानी - Horror Story in hindi - ब्रह्म राक्षस की प्रचलिट कहानी

 

ब्रह्म राक्षस की कहानी - Horror Story in hindi


Brahma Rakshas Ki kahani  - horror story hindi kahani 


1. एक ब्रह्म राक्षस हजारों वर्षों से बरगद के पेड पर शांती से रहता हैं।
2. एक व्यापारी सेठ घर बनाते समय बरगद के पेड को काट लेता हैं।
3. पेड काटे गए स्थान पर व्यापारी घर बनाकर रहता हैं।
4. घर में रहते कुछ दिन अच्छे से बित जाते हैं।
5. ब्रह राक्षस व्यापारी के शरीर में घुसकर पूजा पाठ बंद कर देता हैं।
6. कोई भी जाप करने से ब्रह्म राक्षस कोई फरक नहीं पडता।
7. अपने पती की जान बचाने के लिए 101 बरगद के पेड लगाती हैं।
8. बरगद के पेड लगाने से ब्रह्म राक्षस पती के शरीर को छोडकर चला जाता हैं।
9. तब से व्यापारी पहले जैसे ठिक होकर पुजा पाठ करता हैं।

ब्रह्म राक्षस की कथा - Horror Story in hindi


खेत में हजारों वर्षों से स्थित बरगद के पेड को व्यापारी काट लेता हैं घर बनाने के लिए लेकीन पेड पर मौजुद ब्रह्म राक्षस व्यापारी के शरीर में प्रवेश करके पुजा पाठ आदी कार्य बंद करके अजीब व्यवहार करना शुरु करता हैं।

पत्नी को जब पता चलता हैं की पती के उपर किसी तरह का साया हैं तो वह अनेक उपाय करती हैं फिर भी साया नहीं हट पाता। फिर पती के शरीर में ब्रह्म राक्षस 101 बरगद के पेड लगाने को कहता हैं। बरगद के पेड लगाते हीं ब्रह्म राक्षस अपना परिचय देकर चला जाता हैं। इसके बाद व्यापारी पहले की तरह अच्छा हो जाता हैं।

ब्रह्म राक्षस की कथा - Real horror story in hindi 


कहानी की शुरुआत एक व्यापारी से होती हैं जिसके खेत के दूसरी ओर जंगल में एक अदृश्य द्वार हैं। द्वार में प्रवेश करते हीं व्यक्ती भूत, प्रेत, पिशाच, दैत्य, दानव, राक्षस, चांडाल, डायन, चुडैल आदी लोकों में प्रवेश करता हैं। किसी कारण यह द्वार सिद्ध साधुओं द्वारा बंद किया गया हैं ताकी कोई विनाशकारी घटना ना हो। जो कोई लोग उस द्वार के पास जाता हैं उन्हें कुछ नहीं मिलता केवल साधारण सी जगह प्रतित होती रहती हैं।

धनपुर गांव में एक प्रसिद्ध खेत हैं जहाँ अधिक मात्रा में पीक आता हैं। इसी खेत में धनराज नाम का व्यापारी रहता हैं जिसे लोग प्यार से धनी कहते हैं। यह धनी अपने खेत में घर बनवाना चाहता हैं किसी कारण उसके मन में हिचकिचाहट होती रहती हैं पेड को काटकर घर बनाऊ या नहीं।

धनराज के खेत में बहुत पुराना बरगद का पेड हैं। यह पेड सामान्य पेड से बडा हैं। पहले वाला घर बहुत छोटा होने से किसी तरह से निर्णय लेकर खेतपर घर बनाने की सोची। आखिरकार धनराज ने बरगद के पेड को काटकर बडा घर बनाया। घर बनाने के बाद धनराज के कुछ दिन अच्छे से बित गए। धनराज से नाराज हुआ ब्रह्म राक्षस आसानी से सहीं समय देखकर शरीर में प्रवेश करता हैं।

इस घटना के बाद धनराज सेठ कुछ दिन पुजा पाठ करते तो कुछ दिन नहीं। धनराज की पत्नी अपने पती के अजीब बर्ताव और बदले स्वभाव को देखकर चिंतित हो जाती हैं। पत्नी कहती हैं, " आज कल आप पुजा पाठ नहीं करते और कुछ अधिक हीं बदले हुए लगते हैं, कभी बच्चों को डाँटते हैं कभी गुस्सा करते हैं, क्या हुआ ?"

इस बात को सुनकर धनराज पहले क्रोध करता हैं बाद में कहता हैं, " तुम लोगों ने मेरा घर तोडकर उस स्थानपर अपना घर बना लिया। किसको पुजा करने के लिए कह रहीं हो मैं हीं भगवान हूँ, इसे पुजा करने की कोई जरुरत नहीं "
ऐसा कहने के बाद धनराज अपने ओंठ चबाता, कभी प्रेम से बात करता, कभी आँखे लाल हो जाती और कभी आँखे सहीं हो जाती।

ऐसे अजीब बर्ताव को देखकर पत्नी को अपने पती धनराज पर शक हो गया की उसके अंदर जरुर किसी का साया हैं ऐसा लगा रहा हैं जैसे एक शरीर से दो व्यक्ती बोल रहे हैं। पत्नी सुविधा धनराज को एक गोल घेरे में रखकर मंत्र पढती, चालिसा पढती हैं अगर कोई साया होगा तो चला जाएगा साथ हीं नजर भी उतारती हैं किंतु धनराज पर कोई असार नहीं होता।

धनराज अपनी पत्नी की सारी हरकतों को एकटक देखने लग जाता हैं और धीरे धीरे क्रोध के भर जाने से आँखे लाल हो जाती हैं तब कहता हैं, " तुम चाहे कुछ भी करले मैं डरने वाला नहीं, तु क्या चाहती हैं मैं इसे छोड दूँ, नहीं छोडुँगा "
सुविधा का बच्चा अपनी माँ के पास आकर डरते हुए रोने लगता हैं तब धनराज एकदम से बच्चे को अपनी ओर खिंचकर दबोच लेता हैं।
सुविधा कहती हैं, " मेरे बच्चे को छोड दो उसने तुम्हारा क्या अहित किया हैं ना वह तुम्हें जानता हैं "

सुविधा को ऐसा लगता हैं जैसे वह बच्चे को मार देगा तभी सुविधा ने बच्चे को समय रहते अपनी ओर खिंच लिया और गुस्से से देखने लग जाती हैं।
धनराज की पत्नी गुस्से कहती हैं, " आखिर तुम कौन हो और मेरे पती के शरीर पर कब्जा क्यूँ किया हैं, तुम्हें क्या चाहिए "
धनराज कहता हैं, " अगर तुम अपना और अपने परिवार की भलाई चाहती होतो तो 101 बरगद के पेड जित्नी जल्दी हो सके उत्नी जल्दी लगाओ इसी में तुम्हारी भलाई हैं "

पत्नी कहती हैं, " तुम कौन हो यह तो मुझे बताओ "
धनराज कहता हैं, " पहले तुम पेड लगाओ फिर मैं बताता कौन हूँ मैं और किस लिए आया हूँ "
बिना देरी किए बरगद के पेड खोज लाए और अपने खेत में लगा दिए।
इसके कुछ दिन बाद पत्नी ने देखा धनराज हर रोज की तरह पुजा पाठ कर रहे हैं और आँखे भी लाल नहीं हुई हैं। इसके बाद धनराज पत्नी के पास धीरे से आकर कहता हैं, " तुमने मेरी बात मानकर पेड लगाए इसिलिए मैं तुम्हारे पती को छोड रहा हूँ। तुम्हारे आचार विचार अच्छे हैं सदा सुखी रहो "

पत्नी कहती हैं, " आप ने अभी तक बताया की आप कौन हैं ? "
धनराज कहता हैं, " मैं एक ब्रह्मराक्षस हूँ, वैसे मैं किसी को छोडता नहीं लेकीन तुम्हारी अच्छाई से छोडना पडा। मैं एक बरगद के पेड हजारों वर्षों से रहता था जिसे तुम्हारे पती ने घर बनाने के लिए तोड डाला जिस कारण उनके शरीर पर कब्जा किया, तुम्हारे पती आज तुम्हारे कारण जीवित बच पाए। "

ऐसा कहने के बाद ब्रह्मराक्षस धनराज के शरीर को छोडकर चला जाता हैं उसके बाद धनराज फिर्से ठिक होकर पुजा पाठ नियमित रूप से करता हैं। अपने पती को ठिक देखके पत्नी के आँखों में अश्रु आ गए और भावुक होकर भगवान को धन्यवाद देती हैं।

Moral of the Brahma Rakshasa Story

सीख - " बुरे के साथ अच्छा करोगे तो वह भी एक दिन अच्छा हो जाता हैं " 

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