Ghost stories in hindi - भुतिया हवेली राजस्थान
Real Horror Stories in hindi
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Ghost stories in hindi । भुतिया हवेली राजस्थान । hindistoryloop |
यह कहानी भीम सिंग की हैं जो भूत प्रेत जैसी चिजों में दिलचस्पी रखता हैं हैं जब उसे राजस्थान के कोटा शहर की एक भुतिया हवेली की कहानी पता चलती हैं तो वह google search करके कई सारी जानकारी प्राप्त करता हैं।
इसके बाद भीम सिंग पूरी तयारी के साथ राजस्थान की भुतिया हवेली में आवश्यक सामान लेकर गया हैं तो उसकी भेट वीर सिंग से हो जाती हैं। वीर सिंग इस जगह से भाग जाने को कहता हैं मगर वह नहीं मानता और हवेली में रुक जाता हैं।
तब धीरे धीरे करके भीम सिंग के साथ कई भुतिया घटनाए तेजी से होने लगती हैं। भीम सिंग किसी तरह से स्वयं को सुरक्षित करके दूर हो जाता हैं। आखिरी समय में साया अपने भयानक रूप में आ जाता तब भीम सिंग अपनी जेब से अभिमंत्रित पावडर डालता हैं
पावडर गिरते हीं साया पूरी तरह से जलने लगता हैं। इसके बाद वह साया हवेली छोडकर चला जाता हैं सुबह आया वीर सिंग इसी हवेली में रहने लगता हैं। वीर सिंग और भीम सिंग हवेली को रहने लायक बनाकर सब पहले जैसा बनाते हैं।
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राजस्थान भुतिया हवेली की कहानी । horror story in hindi by hindistoryloop blog
कहानी की शुरुआत राजस्थान की हवेली से होती हैं इस हवेली में उसका मालिक जयसिंग और नोकर अजित सिंग रहते हैं। अजित सिंग एकदम अलग व्यक्ती हैं जो छोटी सी गलती पर हत्या कर देते हैं। इस कारण कोई भी मालिक अजित को उल्टा जवाब नहीं देता। अजित किसी कारण आवश्यक वस्तू अपने साथ ले जाने लगता हैं तब वह जयसिंग को गुस्से में देखकर बुलाता हैं।
वह नोकर भय के कारण जल्दी से मालिक के पास आ जाता हैं पर मालिक के हाथों से अनजाने में हजारों रुपए की वस्तू गिरकर तुट जाती हैं। अपनी गलती छुपाने के लिए मालिक जयसिंग को दोषी ठहराता हैं और बिना कुछ जाने पुछे जयसिंग की हत्या कर देता हैं और उसी हवेली में गाढ देता हैं।
इस घटना के कुछ दिन बाद जयसिंग मालिक सहित हवेली के सभी लोगों को मार देता हैं। कई दिनों बाद उस हवेली के आसपास रहने वाले लोग कई दूर घर बनाकर रहते हैं। जो भी उस हवेली में जाता सुबह उसकी लाश हवेली के बाहर मिल जाती हैं।
इस घटना के 18 वर्ष बाद भी लोग हवेली में रहने नहीं आते जो भी आते हैं उन्हें भूत प्रेत का साया दिखाई देता हैं। जिनके मन में हवेली में रहने की ईच्छा होती हैं वे यहाँ की स्थानिक कहानी सुनने के बाद रहने से मना कर देते हैं। धीरे धीरे हवेली की बात internet पर तेजी से viral हो जाती हैं कई लोग vlog बनाने के चक्कर में डरावने साए देखकर भाग जाते हैं।
यह कहानी दुनिया भर में वायरल हो जाने से उसपर न्युज भी बनाई जाती हैं। भीम सिंग को जब इस हवेली के बारें में पता चलता हैं तो वह सच्चाई जानने का प्रयास करता हैं। कई जानकारी प्राप्त करने पर भीम सिंग तय करता हैं की वह भुतिया हवेली का रहस्य जानकर हीं रहूँगा की क्यों लोग इस हवेली में नहीं रह पा रहे हैं।
भीम सिंग एक साधक हैं जिसने कई साधुओं से कई रहस्यमयी विद्याए सीख ली हैं। हवेली में जाने से पहले से भीम सिंग अपने गुरू को प्रणाम करके अभिमंत्रित पावडर भस्म अपनी जेब में भरकर पूरी तयारी कर लेता हैं। कई कठिनाई को पार करके आखिर भीम सिंग राजस्थान की भुतिया हवेली के पास आ जाता हैं।
इस हवेली को लेकर भीम सिंग कई लोगों से पुछता हैं तब वे लोग हाल हीं हुई कई घटनाए बताकर अंदर जाने से रोकते हैं पर भीम सिंग नहीं मानता क्योंकी उसे रहस्य भी जानना हैं। जैसे हीं हवेली के पास आ जाता हैं उसे नकारात्मक ऊर्जा आसानी से आभास हो जाती हैं।
उसी समय भीम सिंग जैसे हीं पहला पैर हवेली में रखने जाता हैं तो कोई अंजान व्यक्ती उसे आवाज देकर अंदर जाने से रोकता हैं। वह व्यक्ती भीम सिंग के पास आकर बोलता हैं, " आप कौन हैं ? कहाँ से आए हैं ? और किधर जा रहे हैं ? "
भीम सिंग ने उसके प्रश्न का उत्तर नहीं दिया बल्की स्वयं हीं सवाल किया, " जी, आप कौन हैं ? मुझे अंदर जाने से क्यूँ मना कर रहे हैं ? "
वीर सिंग कहता हैं, " मैं यहीं पास में हीं रहता हूँ "
भीम सिंग बोल पडता हैं, " ओह अच्छा, मैंने सुना हैं की, यह भुतिया हवेली और यहाँ पर कोई भी आना पसंद नहीं करता इसिलिए मैं समय बिताने और रहस्य को सुलझाने आया हूँ, रहस्य सुलझा तो मैं यहाँ से चला जाउँगा "
वीर सिंग कहता हैं, " आपने एकदम सहीं सुना यह एक भुतिया हवेली हैं कोई नहीं रुकता आप भी लौट जाए अंदर जाने की भूल ना करें आपकी जान खतरे में पड जाएगी "
भूत और खतरे की बात सुनकर भीम सिंग खुश हो गया जैसे कोई लॉटरी लग गई हैं तब वीर सिंग भी इस बात से डर जाता हैं।
भीम सिंग को खुश होते हुए देखकर वीर सिंग बोल पडा, " आप तो ऐसे खुश हो रहे हो जैसे कोई पार्टी चल रहीं हैं, भूत का नाम सुनकर आपको तो डर लगना चाहिए इसके उलट खुश हो रहे हो "
भीम सिंग एकदम से बोलता हैं, " शायद आपको पता नहीं मैं भूत प्रेतों से डरता नहीं बल्की उनके रहस्य सुलझाता हूँ "
वीर सिंग कहता हैं, " ऐसा ना करें जान को खतरा हो सकता हैं अभी भी समय हैं लौट जाओ "
भीम सिंग कहता हैं, " अगर इस हवेली में भूत हैं तो मैं अवश्य जाकर सच्चाई का पता लगाऊँगा और सबके सामने सारे सबूत रख दूँगा " ऐसा कहकर भीम उस भुतिया हवेली में प्रवेश करता हैं।
हवेली के अंदर जाने के बाद अपने बैग को टेबल के पास रखकर हवेली के चारों ओर नजर घुमाकर सारे रुम चेक कर लिए कुछ ना मिलने पर मेन हॉल में आ गया जहाँ बैग रखा हुआ होता हैं। समय बिताने के लिए भीम सिंग एक दारू की बोतल पी डाली तब उसे फिर्से नकारात्म ऊर्जा आभास होने लगी।
मुख्य हॉल का एक बल्ब अचानक से चालू बंद होने लगता हैं पर भीम सिंग उस बात पर ध्यान नहीं देता तब दूसरा बल्ब भी चालू बंद होने लगा देखते देखते हॉल के सारे बल्ब चालू बंद होते रहते हैं यह देख सचेत हुआ भीम सिंग अपनी जगह से खडा होकर देखता हैं की एक छोटा टेबल और छडी हवा में उडकर गोल गोल घुमने लगा तब भीम सिंग सावध होकर टेबल को देखना लगा।
भीम इस बात को भांप लेता हैं की टेबल उसकी ओर आ रहा हैं इस कारण वह अपने स्थान से दूर हट जाता हैं बाद में टेबल वहीं गिर जाता हैं जहाँ भीम खडा था। भीम कुछ समझ पाता एक सोफा उसकी ओर तेजी से आ जाता वक्त रहते भीम छलाँग लगाकर बच जाता तो सोफा दिवार से टकरा जाता हैं। थोडी देर पूरे हॉल का वातावरण शांत हो जाता हैं।
पहले से हीं सतर्क होकर गहरी आवाज में भीम बोलता हैं, " तुम जो कोई भी हो मेरे पास आकर बात करो ऐसे हमले करना अच्छा नहीं "
तब एक बडी परछाई भीम के पास आ गई जिसका चेहरा ठिक से नहीं दिख रखा होता।
भीम परछाई को देखकर कहता हैं, " आखिर तुम कौन हो ? और इस हवेली में रहकर सबको मारते हो ? अब तुमने मुझे भी मारनी की कोशिश की "
परछाई कहती हैं, " तुम्हारी भूल के कारण मारने का प्रयास किया "
भीम सिंग, " मैंने ऐसी कौंसी भूल की जिस्से तुम मारने पर उतारु हो गए "
परछाई, " तुमने इस हवेली में आने की भुल की हैं, मैं इस हवेली में किसी को खुश नहीं देख सकता, सबको मार दूँगा तुझे भी "
भीम सिंग, " आखिर ऐसा क्यूँ कर रहे हो ? "
परछाई उदास होकर कहती हैं, " आज से 18 वर्ष पहले मेरे मालिक जयसिंग ने बिना किसी गलती के अजित सिंग को मार डाला वो अजित कोई और नहीं मैं हूँ, बाद में हवेली के अन्य लोगों को मैंने आत्मा बनकर मार डाला "
कुछ देर के लिए अजित सिंग शांत हो जाता हैं।
अजित गुस्से से कहता हैं, " इस हवेली में मेरा खुन हुआ था इसिलिए मैं आत्मा बनकर भटक रहा हूँ, जो भी इस हवेली में आएगा उसकी मौत पक्की, आज तुम्हारी बारि हैं भीम सिंग "
भीम कहता हैं, " मरने से पहले मेरी ईच्छा हैं मैं तुम्हारा असली रूप देखना चाहता हूँ, दिखाओगे "
ऐसा कहने भर मात्र से भीम सिंग अपने भयानक असली रूप में आ जाता हैं जिसे देख भयभीत हुआ भीम स्वयं के भयपर नियंत्रण पा लेता हैं।
इस्से पहले अजित मार डाले पहले से तयार बैठा भीम सिंग अभिमंत्रित पावडर निकालकर अजित सिंग पर फ़ेक देता हैं। इस पावडर के कारण अजित जलने लगा उसके शरीर से आग निकली जिस्से वह डरावनी आवाज में चिल्लाने लगा बाद में जलकर पूरी तरह से गायब हो गया। अबतक जो हवेली नकारात्मकता से भरी थी वह सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाती हैं। इसके बाद भीम सिंग आराम से सोफे पर सो गया सुबह कब हुई पता नहीं चला।
दूसरे दिन भीम सिंग को सहीं सलामत देखकर वीर सिंग हैरान हो गया और पुछने लगा, " जिस हवेली से आजतक कोई बच नहीं पाया, मगर तुम कैसे जीवित बच गए, बता सकते हो ? "
भीम सिंग ने कल रात हुई सारी घटनाए बताकर वीर सिंग से कहाँ अब यह हवेली, भुतिया हवेली नहीं रह गई बल्की अब यह साधारण हवेली हैं। "
इतना कहने के बाद दोनों हवेली को सुंदर सजाकर शुद्धीकरण करके घर को शुद्ध करते हैं। कुछ दिन बाद दोनों अपने रास्ते निकल जाते हैं।
हमारी आज की कहानी " राजस्थान के कोटा की भुतिया हवेली - Ghost Story in hindi " कैसे लगी comment करके अवश्य बताए साथ हीं हमारे दूसरे blog को अवश्य भेट दे।
वह नोकर भय के कारण जल्दी से मालिक के पास आ जाता हैं पर मालिक के हाथों से अनजाने में हजारों रुपए की वस्तू गिरकर तुट जाती हैं। अपनी गलती छुपाने के लिए मालिक जयसिंग को दोषी ठहराता हैं और बिना कुछ जाने पुछे जयसिंग की हत्या कर देता हैं और उसी हवेली में गाढ देता हैं।
इस घटना के कुछ दिन बाद जयसिंग मालिक सहित हवेली के सभी लोगों को मार देता हैं। कई दिनों बाद उस हवेली के आसपास रहने वाले लोग कई दूर घर बनाकर रहते हैं। जो भी उस हवेली में जाता सुबह उसकी लाश हवेली के बाहर मिल जाती हैं।
इस घटना के 18 वर्ष बाद भी लोग हवेली में रहने नहीं आते जो भी आते हैं उन्हें भूत प्रेत का साया दिखाई देता हैं। जिनके मन में हवेली में रहने की ईच्छा होती हैं वे यहाँ की स्थानिक कहानी सुनने के बाद रहने से मना कर देते हैं। धीरे धीरे हवेली की बात internet पर तेजी से viral हो जाती हैं कई लोग vlog बनाने के चक्कर में डरावने साए देखकर भाग जाते हैं।
यह कहानी दुनिया भर में वायरल हो जाने से उसपर न्युज भी बनाई जाती हैं। भीम सिंग को जब इस हवेली के बारें में पता चलता हैं तो वह सच्चाई जानने का प्रयास करता हैं। कई जानकारी प्राप्त करने पर भीम सिंग तय करता हैं की वह भुतिया हवेली का रहस्य जानकर हीं रहूँगा की क्यों लोग इस हवेली में नहीं रह पा रहे हैं।
भीम सिंग एक साधक हैं जिसने कई साधुओं से कई रहस्यमयी विद्याए सीख ली हैं। हवेली में जाने से पहले से भीम सिंग अपने गुरू को प्रणाम करके अभिमंत्रित पावडर भस्म अपनी जेब में भरकर पूरी तयारी कर लेता हैं। कई कठिनाई को पार करके आखिर भीम सिंग राजस्थान की भुतिया हवेली के पास आ जाता हैं।
इस हवेली को लेकर भीम सिंग कई लोगों से पुछता हैं तब वे लोग हाल हीं हुई कई घटनाए बताकर अंदर जाने से रोकते हैं पर भीम सिंग नहीं मानता क्योंकी उसे रहस्य भी जानना हैं। जैसे हीं हवेली के पास आ जाता हैं उसे नकारात्मक ऊर्जा आसानी से आभास हो जाती हैं।
उसी समय भीम सिंग जैसे हीं पहला पैर हवेली में रखने जाता हैं तो कोई अंजान व्यक्ती उसे आवाज देकर अंदर जाने से रोकता हैं। वह व्यक्ती भीम सिंग के पास आकर बोलता हैं, " आप कौन हैं ? कहाँ से आए हैं ? और किधर जा रहे हैं ? "
भीम सिंग ने उसके प्रश्न का उत्तर नहीं दिया बल्की स्वयं हीं सवाल किया, " जी, आप कौन हैं ? मुझे अंदर जाने से क्यूँ मना कर रहे हैं ? "
वीर सिंग कहता हैं, " मैं यहीं पास में हीं रहता हूँ "
भीम सिंग बोल पडता हैं, " ओह अच्छा, मैंने सुना हैं की, यह भुतिया हवेली और यहाँ पर कोई भी आना पसंद नहीं करता इसिलिए मैं समय बिताने और रहस्य को सुलझाने आया हूँ, रहस्य सुलझा तो मैं यहाँ से चला जाउँगा "
वीर सिंग कहता हैं, " आपने एकदम सहीं सुना यह एक भुतिया हवेली हैं कोई नहीं रुकता आप भी लौट जाए अंदर जाने की भूल ना करें आपकी जान खतरे में पड जाएगी "
भूत और खतरे की बात सुनकर भीम सिंग खुश हो गया जैसे कोई लॉटरी लग गई हैं तब वीर सिंग भी इस बात से डर जाता हैं।
भीम सिंग को खुश होते हुए देखकर वीर सिंग बोल पडा, " आप तो ऐसे खुश हो रहे हो जैसे कोई पार्टी चल रहीं हैं, भूत का नाम सुनकर आपको तो डर लगना चाहिए इसके उलट खुश हो रहे हो "
भीम सिंग एकदम से बोलता हैं, " शायद आपको पता नहीं मैं भूत प्रेतों से डरता नहीं बल्की उनके रहस्य सुलझाता हूँ "
वीर सिंग कहता हैं, " ऐसा ना करें जान को खतरा हो सकता हैं अभी भी समय हैं लौट जाओ "
भीम सिंग कहता हैं, " अगर इस हवेली में भूत हैं तो मैं अवश्य जाकर सच्चाई का पता लगाऊँगा और सबके सामने सारे सबूत रख दूँगा " ऐसा कहकर भीम उस भुतिया हवेली में प्रवेश करता हैं।
हवेली के अंदर जाने के बाद अपने बैग को टेबल के पास रखकर हवेली के चारों ओर नजर घुमाकर सारे रुम चेक कर लिए कुछ ना मिलने पर मेन हॉल में आ गया जहाँ बैग रखा हुआ होता हैं। समय बिताने के लिए भीम सिंग एक दारू की बोतल पी डाली तब उसे फिर्से नकारात्म ऊर्जा आभास होने लगी।
मुख्य हॉल का एक बल्ब अचानक से चालू बंद होने लगता हैं पर भीम सिंग उस बात पर ध्यान नहीं देता तब दूसरा बल्ब भी चालू बंद होने लगा देखते देखते हॉल के सारे बल्ब चालू बंद होते रहते हैं यह देख सचेत हुआ भीम सिंग अपनी जगह से खडा होकर देखता हैं की एक छोटा टेबल और छडी हवा में उडकर गोल गोल घुमने लगा तब भीम सिंग सावध होकर टेबल को देखना लगा।
भीम इस बात को भांप लेता हैं की टेबल उसकी ओर आ रहा हैं इस कारण वह अपने स्थान से दूर हट जाता हैं बाद में टेबल वहीं गिर जाता हैं जहाँ भीम खडा था। भीम कुछ समझ पाता एक सोफा उसकी ओर तेजी से आ जाता वक्त रहते भीम छलाँग लगाकर बच जाता तो सोफा दिवार से टकरा जाता हैं। थोडी देर पूरे हॉल का वातावरण शांत हो जाता हैं।
पहले से हीं सतर्क होकर गहरी आवाज में भीम बोलता हैं, " तुम जो कोई भी हो मेरे पास आकर बात करो ऐसे हमले करना अच्छा नहीं "
तब एक बडी परछाई भीम के पास आ गई जिसका चेहरा ठिक से नहीं दिख रखा होता।
भीम परछाई को देखकर कहता हैं, " आखिर तुम कौन हो ? और इस हवेली में रहकर सबको मारते हो ? अब तुमने मुझे भी मारनी की कोशिश की "
परछाई कहती हैं, " तुम्हारी भूल के कारण मारने का प्रयास किया "
भीम सिंग, " मैंने ऐसी कौंसी भूल की जिस्से तुम मारने पर उतारु हो गए "
परछाई, " तुमने इस हवेली में आने की भुल की हैं, मैं इस हवेली में किसी को खुश नहीं देख सकता, सबको मार दूँगा तुझे भी "
भीम सिंग, " आखिर ऐसा क्यूँ कर रहे हो ? "
परछाई उदास होकर कहती हैं, " आज से 18 वर्ष पहले मेरे मालिक जयसिंग ने बिना किसी गलती के अजित सिंग को मार डाला वो अजित कोई और नहीं मैं हूँ, बाद में हवेली के अन्य लोगों को मैंने आत्मा बनकर मार डाला "
कुछ देर के लिए अजित सिंग शांत हो जाता हैं।
अजित गुस्से से कहता हैं, " इस हवेली में मेरा खुन हुआ था इसिलिए मैं आत्मा बनकर भटक रहा हूँ, जो भी इस हवेली में आएगा उसकी मौत पक्की, आज तुम्हारी बारि हैं भीम सिंग "
भीम कहता हैं, " मरने से पहले मेरी ईच्छा हैं मैं तुम्हारा असली रूप देखना चाहता हूँ, दिखाओगे "
ऐसा कहने भर मात्र से भीम सिंग अपने भयानक असली रूप में आ जाता हैं जिसे देख भयभीत हुआ भीम स्वयं के भयपर नियंत्रण पा लेता हैं।
इस्से पहले अजित मार डाले पहले से तयार बैठा भीम सिंग अभिमंत्रित पावडर निकालकर अजित सिंग पर फ़ेक देता हैं। इस पावडर के कारण अजित जलने लगा उसके शरीर से आग निकली जिस्से वह डरावनी आवाज में चिल्लाने लगा बाद में जलकर पूरी तरह से गायब हो गया। अबतक जो हवेली नकारात्मकता से भरी थी वह सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाती हैं। इसके बाद भीम सिंग आराम से सोफे पर सो गया सुबह कब हुई पता नहीं चला।
दूसरे दिन भीम सिंग को सहीं सलामत देखकर वीर सिंग हैरान हो गया और पुछने लगा, " जिस हवेली से आजतक कोई बच नहीं पाया, मगर तुम कैसे जीवित बच गए, बता सकते हो ? "
भीम सिंग ने कल रात हुई सारी घटनाए बताकर वीर सिंग से कहाँ अब यह हवेली, भुतिया हवेली नहीं रह गई बल्की अब यह साधारण हवेली हैं। "
इतना कहने के बाद दोनों हवेली को सुंदर सजाकर शुद्धीकरण करके घर को शुद्ध करते हैं। कुछ दिन बाद दोनों अपने रास्ते निकल जाते हैं।
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